
जाँजगीर चाम्पा (दैनिक रायगढ़ अंचल) जाँजगीर चाम्पा जिले के ब्लाक नवागढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम धाराशिव में (हसदेव नदी तट पर) अवैध ईंट निर्माण की चिंगारी अब पूरे क्षेत्र में फैलती नजर आ रही है। जहां एक ओर इस गांव के शासकीय भूमि में अवैध ईंट भट्ठा का संचालन कई वर्षो से लगातार चल रहा है। वहीं नवागढ़ क्षेत्र के अन्य कई हिस्सों में भी इसी तरह अवैध ईंट भट्ठों का कारोबार फल-फूल रहा है। ग्रामीण प्रहलाद कुम्हार के द्वारा अवैध ईंट भट्ठा का संचालन किया जा रहा है। उनके अवैध ईंट भट्टों का कारोबार जोरों पर है। ईंट भट्ठा संचालक शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बिना लाइसेंस के कई ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं। ईंट भट्ठों के संचालक मोटी रकम कमाई कर रहे हैं। इससे शासन प्रशासन को लाखों रुपये की राजस्व क्षति हो रही है। जिले में ईट भट्टे के कारोबार करने की होड़ मची हुई है।
जबकि शासन के निर्देशानुसार ईंट भट्टे लगाने के लिए बाकायदा शासन से अनुमति की आवश्यकता है मगर अनुमति नहीं ली जाती है। दर्जनों ईट भट्टे नियम विरूद्ध संचालित हो रहे हैं।
प्रशासन की नाक के नीचे अवैध ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है और राजस्व और खनिज विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हैं। सूत्रों का कहना है कि उनकी मिली भगत से अवैध ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने इन ईंट भट्ठो पर कार्यवाही की मांग की है।
आज तक नहीं हुई ठोस पहल
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आज तक ग्राम पंचायत धाराशिव में इन अवैध कारोबारी के विरूद्ध बड़ी कार्यवाही नहीं हुई। इससे अवैध ईंट बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं। बड़े पैमाने पर ईंटों का कारोबार करने वालों पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं किए जाने से प्रतिवर्ष ईंट भट्टा संचालकों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई ठेकेदारों द्वारा एक जगह की अनुमति लेने के बाद कई जगहों पर ईंट भट्ठा संचालित किया जाता है। ऐसे ईंट भट्ठों को बंद कराने में खनिज व राजस्व विभाग के अधिकारी अक्षम साबित हो रहे हैं इन अवैध ईटों को पकाने के लिए अधिकांश जगहों पर अवैध कोयला खरीदी कर इसका उपयोग ईट भट्टा संचालकों द्वारा किया जाता है। साथ ही कई जगहों पर बड़े-बड़े वृक्षों की भी बलि चढ़ा दी जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि केवल धाराशिव गांव में ही नहीं, बल्कि नवागढ़ क्षेत्र के अन्य ग्रामों में भी इसी तरह अवैध ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है कहीं भी अनुमति नहीं, न ही पर्यावरणीय मानकों की चिंता। अब सवाल ये है कि क्या प्रशासन इन अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाएगा या क्षेत्र को ईंट की धूल में ही दफन होते देखता रहेगा?